रक्षाबंधन 2023 (Raksha Bandhan 2023)

raksha bandhan 2023

Table of Contents

 रक्षाबंधन  2023 

भारत एक स्वर्णीय और परंपरा मानने वाला देश है। यह वह देश है जिसमें मात-पिता भगवन हैं, गुरु भगवन से भी ऊपर है और धर्म-पालन सबसे बड़ा कर्त्तव्य माना जाता है । जब कर्त्तव्य की बात आती है तो हम देश प्रेम ,नर और नारी  का आपस में, बच्चों का कर्त्तव्य मात -पिता की तरफ, आदि की बात करते है। 

इन सब कर्त्तव्यों   में अगर किसी को उच्च श्रेणी दी गयी है तो वह है रक्षाबंधन या कहें  राखी।

राखी यूं तो धागों का त्यौहार है , पर इसकी मान्यता धागो से भी बढ़कर है। 

यह एक बहन का गर्व है अपने भाई पर , एक भाई की जिम्मेदारी है बहन के लिए ।

 में तुम्हारे रक्षा के लिए हमेसा हाज़िर रहूँगा , चाहे कैसे भी परिस्थिति क्यों न हो।

आज इस लेख या कहें आर्टिकल में हम रक्षाबंधन 2023 (Raksha Bandhan 2023) का मुहूर्त ,

इतिहास और मंत्र के बारे में जानेंगे। 

रक्षाबंधन का इतिहास। 

भारत में मनाई जाने वाले हर त्यौहार के पीछे कुछ न कुछ कहानियाँ जरूर होती है और इसलिए शायद हर भारतीय हर पर्व या त्यौहार  बड़े हर्षों -उल्लास से मनाते है।  रक्षाबंधन सिर्फ एक त्यौहार नहीं , एक वादा है जो हर बहन अपने भाई से मांगती है और एक भाई उसे पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है। 

पर क्या राखी का त्यौहार सिर्फ एक दिन सिमित रहता है ? नहीं यह एक दिन है जिस दिन एक भाई अपने कर्तव्यों को याद करता है , हर लड़ाई को भूल कर बहन को मिलते है और बहन भी सब भूलकर हँस के आपस में मिलकर इस पर्व को मनाते है।

आइये जानते है रक्षाबंधन के इतिहास के बारे  में।

  • राजा बलि और देवी लक्ष्मी।

प्रहलाद के पोते और राक्षस वंश के महाराज बलि को विष्णु जी के सबसे बड़े भक्तो में से एक माना गया है।  इनकी भक्ति और निष्ठा देख के स्वयं श्री विष्णु जी वैकुण्ठ छोड़  के राजा बलि के राज्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली।  विष्णु  जी के इस निर्णय से माँ लक्ष्मी जी दुखी हो गयी क्यूंकि वह विष्णु जी के साथ रहना चाहती  थी।  लक्ष्मी जी ने एक वृद्ध  ब्राह्मण महिला का भेष धारण कर राजा बलि के पास आश्रय ली। श्रावण पूर्णिमा के दिन उन्होंने राजा बलि को राखी बांध के अपने व्यथा के बारे में बताया। 

माँ  लक्ष्मी के इस ममत्व से राजा बलि भावविभोर हो गयें और विष्णु जी को अनुरोध किया की वह देवी के साथ वापस वैकुण्ठ लौट जाएं। बस ऐसे मान्यता है की तब से हर राखी के त्यौहार पे या तो बहन राखी के दिन भाई के घर आती है या

भाई बहन के यहाँ जाके राखी बंधवाता है। 

  • श्री कृष्णा और द्रौपदी की कहानी। 

द्वापरयुग में श्री कृष्ण और शिशुपाल  के बीच विध्वंश युद्ध का  अंत शिशुपाल के मौत से हुआ  और धर्म की स्थापना  हुई। युद्ध के दौरान श्री कृष्ण के ऊँगली में चोट लगने से रख्त का बहाव होने लगा और यह देख के द्रौपदी ने ममत्व का परिचय देते हुए श्री कृष्ण से ऊँगली पे अपने साड़ी के टुकड़े को बांध दिया था।  कहते है जब कोई पुरे स्नेह और स्वार्थनिहित होके भगवान के सेवा करता है , भगवान खुद उस भक्त से बंध जाते है। द्रौपदी के इस स्नेह और चिंता ने श्री कृष्णा को बांध दिया और उन्हें एक बहन के करुणा का एहसास हुआ।

उन्होंने द्रौपदी से बोला ” हे द्रौपदी , में वासुदेव कृष्ण , में तुम्हारे इस ममत्व से आज बंध गया हूँ  और में वचन देता हूँ की जब भी तुम्हारे ऊपर कोई भी संकट आएगा , तब में तुम्हारी रक्षा के लिए में स्वयं आऊंगा। “. कुछ वर्षो बाद जब भरी सभा में द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था , तब विवश होके द्रौपदी  ने अपने दोनों हाथ ऊपर करके कृष्ण जी को याद किया और जैसे आप सबको ज्ञात होगा कैसे श्री कृष्ण जी ने अपने चमत्कार  से द्रौपदी की इज़्ज़त बचायी थी।

  • रानी कर्णावती और बादशाह हुमायूँ की कहानी। 

यह कहानी मध्ययुगीन युग के वक़्त की है।  उस वक़्त राजपूत अपने साम्राज्य  सुरक्षा के लिए मुगलो  से रक्षा करने में लगे हुए थे और कई अपनी जान भी गवां दिए थे। उस वक़्त रक्षाबंधन का बहुत महत्व था।  रानी कर्णावती चित्तौड़ के राजा की विधवा थी और उन्हें एहसास हुआ की उनका राज्य गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से लड़ने में सक्षम नहीं है।

परिस्थिति को देखते हुए रानी कर्णावती ने बादशाह  हुमायूं को राखी भेजी। 

सम्राट इस सन्देश को देख कर भाविभोर हो गायें और उसी वक़्त अपनी सेना की टुकड़ी चित्तौड़ की और रवाना हो गयी है। 

  • सिकंदर महान और राजा पुरु की कहानी। 

राखी उत्सव के सबसे पुराने अभिलेखों में से एक 300 ईसा पूर्व का है, जब सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया था। ऐसा माना जाता है कि अपनी प्रारंभिक रक्षा के दौरान भारतीय राजा पुरु के क्रोध ने मैसेडोनिया के महान विजेता राजा अलेक्जेंडर को कमजोर कर दिया था। सिकंदर की पत्नी, जो राखी त्यौहार के बारे में जानती थी,

जब उसने अपने पति की दुर्दशा देखी तो उसने राजा पुरु की तलाश की।

राजा पुरु ने उसे अपनी राखी बहन के रूप में पहचाना और परिणामस्वरूप सिकंदर के खिलाफ युद्ध नहीं छेड़ने का फैसला किया। रक्षाबंधन के इतिहास से हमें यह ज्ञात होता है की रक्षाबंधन कितना महत्वपूर्ण पर्व है और भाई -बहन के प्यार को दर्शाता है। 

रक्षाबंधन 2023 (Raksha Bandhan 2023) का मुहूर्त :

रक्षा बंधन हर बार की तरह श्रवण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

पिछले बार की तरह इस बार भी रक्षाबंधन मनाने का दो दिन का संयोग है।

इस बार पूर्णिमा 30 अगस्त को 10 :59 मिनट में प्रारम्भ हो रही है और 31 को सुबह 7 :06 मिनट तक रहेगा। किसी भी पर्व के लिए उद्धीयकालीन तिथि को ही लेते है और उद्धीयकालीन में रक्षाबंधन बना सकते हैं परन्तु 30 अगस्त को इस बार ऐसा संयोग बन रहा है जिसमे भद्रा का परिहार नहीं हो रहा है। आप 31 अगस्त को रक्षाबंधन बना सकते है।

  • 30 अगस्त – 10 :59 में पूर्णिमा प्रारम्भ होगा पर भद्रा रहेगा
  • जिससे आप राखी सिर्फ रात्रि को 9 :03 के बाद आप रक्षाबंधन बना सकते हैं। 
  • भद्रा जब पूँछ पे होता है यानि 5:32 to 6:32 तब रक्षाबंधन बनायीं जा सकती है और
  • अगर भद्रा मुख पे हो यानि 6:32 to 8:13 तब राखी नहीं मनाई जा सकती है।
  •  31 अगस्त -सुबह 7 :06 तक पूर्णिमा रहेगा। इस दिन आप रक्षाबंधन बिना कोई दिक्कत के मना सकते हैं।
  • उदैया तिथि के अनुसार 31 अगस्त को आप रक्षाबंधन बना सकते हैं।

2023 रक्षाबंधन: क्या करें और क्या न करें

  • रक्षाबंधन केवल भद्राऋत ऋतु के दौरान ही मनाया जाना चाहिए।
  • रक्षाबंधन के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पूरे घर में गंगाजल छिड़कें।
  • स्नान करने के बाद अपने परिवार के देवी-देवताओं को याद करें और
  • सूर्य देव को जल देते हुए उनका आशीर्वाद लें।
  • इसके बाद शुभ घड़ी को ध्यान में रखते हुए राखी का पकवान सजाना चाहिए।
  • राखी, अक्षत, सिन्दूर, मिठाई और रोली सभी को तांबे या पीतल की थाली में रखना चाहिए
  • जो राखी की थाली के रूप में काम आती है।
  • रक्षाबंधन पर, अनुष्ठान को पूरा करने के लिए अपने परिवार के देवता को रक्षा सूत्र समर्पित करें।
  • राखी बांधते समय ध्यान रखें कि भाई का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
  • सबसे पहले बहनें भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं, उसके बाद कलाई पर राखी बांधती हैं।
  • बहनें अपने भाई के दाहिने हाथ पर राखी बांधती हैं। उसके बाद बहन और भाई मिठाइयाँ बाँटते हैं।

 

रक्षाबंधन 2023 (Raksha Bandhan 2023) पर भाई को राखी बांधते समय कौन सा मंत्र पढ़ना चाहिए?

भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधते समय बहन को यह मंत्र बोलना चाहिए और भाई को रोली,

चंदन और अक्षत का पूर्वाभिमुख तिलक लगाना चाहिए।

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल।।

 

अर्थ -जिस रक्षासूत्र के मदद से लक्ष्मी जी ने राजा बलि को बांध के विष्णु जी को वापस वैकुण्ठ लेकर गयी थी , उसी रक्षाबंधन के सूत्र से में आपको बांधती / बांधता हूँ , जो तुम्हारी रक्षा करेगा और कर्त्तव्य की याद दिलाता रहेगा। हे रक्षे !  तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।

इस थोड़े से परिवर्तन के साथ मंत्र का जाप करते समय विद्यार्थी को रक्षा सूत्र गुरु को समर्पित करना चाहिए।

 

येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वां रक्षबन्धामि रक्षे मा चल मा चल।।

रक्षाबंधन 2023 (Raksha Bandhan 2023) में भाई क्या दें अपने बहनो को उपहार।

क्या उपहार दें।

आप रक्षाबंधन पर अपनी बहन को शैक्षिक सामग्री जैसे नोटबुक, पेन, स्मार्टफोन या लैपटॉप दे सकते हैं। ज्योतिष में बुध को परंपरागत रूप से बहन कारक कहा गया है। ऐसे में स्कूली शिक्षा के लिए सामान देना सौभाग्य की बात होगी. रक्षाबंधन पर आप अपनी बहन को अपनी पसंद के कपड़े भी उपहार के रूप में दे सकते हैं। महिलाएं बिना किसी परवाह के कपड़ों की खरीदारी का आनंद लेती हैं। महिलाओं में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है और जब आप उन्हें खुश करते हैं तो मां लक्ष्मी आपसे प्रसन्न होती हैं। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि इस दिन काले और नीले रंग के वस्त्रों का दान नहीं करना चाहिए। रक्षाबंधन पर आप अपनी बहन को कपड़े, गहने, किताबें, म्यूजिक सिस्टम और सोने-चांदी के पैसे जैसी चीजें दे सकते हैं। इन चीजों को उपहार में देने से भाई-बहन का रिश्ता बेहतर होता है।

क्या उपहार न दें।

रक्षाबंधन के मौके पर कुछ लोग अपनी बहनों को उनकी पसंदीदा चप्पलें या सैंडल देते हैं,

जूते-चप्पल देना उचित नहीं माना जाता है। इसके अलावा नुकीले या नुकीले उपहार देने से भी बचना चाहिए।

ज्योतिष और वास्तु के अनुसार उपहार में ऐसी चीजें देना अशुभ होता है। इसी वजह से रक्षाबंधन पर

बहनों को गलती से भी मिक्सर ग्राइंडर, चाकू का सेट, शीशा या फोटो फ्रेम जैसी धारदार वस्तुएं देने से मना किया जाता है।

 रक्षाबंधन  2023 में राखी की थाल में रखें क्या – क्या चीज़ें ?

राखी की थाली में क्या क्या चीज़ें रखने से होती है भाई -बहनो के रिश्तो में मजबूती ?

  • थाली की सजावट और कौन सी धातु की हो ?

रक्षाबंधन के दौरान चांदी की थालियां विशेष रूप से लोकप्रिय होती हैं।

हिंदू धर्म में, ओम और स्वस्तिक प्रतीकों को आमतौर पर पूजा की थाली के बीच में रखा जाता है।

पूजा की थाली तैयार करने के लिए एक थाली को रसोई से बाहर निकालें और उसे ताजे सूती कपड़े या केले के पत्ते से ढक दें।

प्लेट के मध्य भाग को स्वस्तिक से ढका जा सकता है।

  • अक्षत और रोली। 

अक्षत, यानी अखंडित सफेद चावल, पूजा के दौरान खाए जाने वाले चावल का नाम है। चावल को एक छोटी कटोरी में रखा जा सकता है| पूजा के दौरान माथे पर तिलक के बाद अक्षत लगाया जाता है। रोली को एक छोटी कटोरी में चावल के साथ रखें।माथे पर रोली से तिलक लगाया जाता है। माथे पर रोली का तिलक लगाने से भी रक्षाबंधन संस्कार की शुरुआत होती है।

हल्दी और नींबू को मिलाकर रोली बनाई जाती है, जिसे आमतौर पर कुमकुम के नाम से जाना जाता है।

  • नारियल ,कलश और रक्षा पोटली। 

सनातन धर्म में नारियल को देवताओं का फल माना जाता है। प्रत्येक भाग्यशाली प्रयास इसका उपयोग करता है। ऐसा माना जाता है कि राखी बांधते समय नारियल का उपयोग करने से भाई के जीवन में सुख और धन की प्राप्ति होती है। पूजा की थाली में एक छोटा कलश रखें और उसमें ताजा जल भरें। राखी के दिन बहन की पूजा की थाली में तांबे के लोटे में जल और चंदन रखें।

कलाई को रक्षा पोटली से सुरक्षित करना चाहिए। धार्मिक लेखों में दावा किया गया है कि भगवान इंद्र की कलाई रक्षा पोटली से बंधी थी। कई रक्षा बंधन उपहार प्लेटों में पोटली भी होती है, लेकिन यह छोटे नारियल से भरी होती है। धार्मिक साहित्य के अनुसार, रक्षा पोटली को चावल, सफेद सरसों और सोने (या सोने के धागे) से भरा माना जाता है।

  • दीपक और मिठाई। 

जैसे एक बल्ब से रोशनी निकलती है  जो चारो तरफ फेल के प्रसन्नता फैलती है ,उसी तरह दीपक जला के पूजा करने से ऊर्जा और भक्तिमय माहौल बनता है। वहीं रक्षाबंधन के पावन पर्व पर दीपक  अपने भाई की आरती करें। इससे भाई-बहन के बीच का प्यार हमेशा पवित्र बना रहता है। राखी के शुभ दिन पर बहन की थाली में मिठाई जरूर होनी चाहिए। तिलक और रक्षा सूत्र के बाद भाइयों को मिठाई खाने के लिए दी जाती है।

ऐसा माना जाता है कि इस दिन अपने भाई को मिठाई देने से आपके रिश्ते में मिठास बनी रहेगी।रक्षाबंधन एक पवित्र त्यौहार है और इसे हमेसा सही मुहूर्त और विधि के अनुसार बनाना चाहिए।

ऊपर दिए गए जानकारी से आपको रक्षाबंधन 2023 (Raksha Bandhan 2023) राखी के मुहूर्त और अन्य संबधी जानकारी मिल जाएगी। 

 

Related Posts

Share this post: