बड़ों के पैर क्यों छुए जाते हैं (why do we touch feet of elders)? भारतीय संस्कृति में अनगिनत ऐसे रीति रिवाज हैं जिनका मुख्य उद्देश्य जीवन को बेहतर बनाना है।
उन्हीं रीति-रिवाजों में से एक ख़ास प्रथा है बड़ों के पैर छूने की, जिसे चरणस्पर्श का नाम दिया गया है।
घर में या बाहर जो भी हमसे बड़े हैं उनके चरणों को स्पर्श करना या छूना।
ये एक ऐसा संस्कार है जो शुरू से ही बच्चों में डाली जाती है ।
प्रातः उठकर घर में जितने भी बड़े हैं उनके पैर जरूर छुएं जाते है ।
उसके बाद ही किसी काम की शुरूआत की जाती है।
यह एक ऐसा रिवाज है जो ज़िन्दगी भर बना रहता है और इससे बहुत से लाभ भी प्राप्त होते है।
धर्म के अनुसार या ज्योतिष के अनुसार इस आदत के कई लाभ देखने को मिलते थे। आइए जानें इसके महत्व और फायदों के बारे में।
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Toggleबड़ों के पैर क्यों छुए जाते हैं
हिंदू धर्म में लोग बड़ों के पैर इसलिए छूते हैं क्योंकि यह परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है।
हिंदू धर्म में बड़ों के पैर छूना सम्मान जताने का एक तरीका है,जिसे चरणस्पर्श भी कहा जाता है।
बड़ों के पैर छूने से उस संस्कार का भी पता चलता है जो एक व्यक्ति ने अपने परिवार के लिए सीखा है।
ऐसा माना जाता है कि जब हम बड़ों के पैर छूते हैं तब बदले में हमें अपने बड़ों का आशीर्वाद मिलता है।
ये वो मूल्य हैं जो बचपन में सिखाए जाते हैं जिनका हम जीवन भर पालन करते हैं।
झुककर पैर छूने से घमंड और अहंकार होता है कम
जब हम अपने बड़ों के पैर छूकर हम उनकी उम्र, उनके ज्ञान, उनकी उपलब्धियों और उनके अनुभव को सम्मान देते हैं।
बदले में वे हमें हमारी तरक्की और अच्छे जीवन के लिए आशीर्वाद देते हैं।
बड़ों के पैर छूने से घमंड और अहंकार तो कम होता ही है और साथ ही बड़ों के ज्ञान का कुछ हिस्सा भी हमें मिल पाता है।
झुककर पैर छूने का वैज्ञानिक लाभ
विज्ञान की दृष्टि से देखा जाये तो हमारे शरीर में शक्ति उर्जा का नकारात्मक और सकारात्मक प्रवाह होता है।
शरीर का बायां आधा भाग नेगेटिव करंट प्रवाहित करता है और दाहिना भाग पॉजिटिव करंट का संचार करता है।
दोनों भाग मिलकर धनात्मक (पॉजिटिव) या ऋणात्मक (नेगेटिव) का एक परिपथ कार्य पूरा करते हैं।
इस प्रकार, यह ध्यान रखना चाहिए कि पैरों को छूते समय हमें हाथों को क्रॉस करना चाहिए।
मतलब जब हम किसी बड़े के चरण स्पर्श करते हैं तो उनके हाथों और पैर की उंगलियों के माध्यम से ऊर्जा का संचार शरीर में होता है।
पैरों में पॉजिटिव एनर्जी का फ्लो रहता है और ऐसे में जब हम किसी के पैर छूते हैं तो उसकी पॉजिटिव एनर्जी हमें मिल जाती है।
और जब सामने वाला आशीर्वाद देने के लिए हमारे सिर पर हाथ रखता है तो दोनों के बीच एनर्जी का आदान-प्रदान होता है।
पॉजिटिव एनर्जी हमारे जीवन में बहुत ही महत्व रखता हैं।
पैर छूने का सही तरीका
किसी बड़े या सम्मानित व्यक्ति के पैर छूने के लिए,आपको उनके सामने झुकना पड़ेगा।
अपने घुटनों को बिना झुकाए अपनी बाहों को आगे की ओर फैलाकर भुजाओं को समानांतर रखकर ऐसे फैलाएं कि आपका दाहिना हाथ उनके बाएं पैर को छुए और बायां हाथ उनके दाहिने पैर को छुए।
इसके बाद बड़े और सम्मानित व्यक्ति के दाहिने हाथ से आपके सिर के शीर्ष को छूटे हुए आशीर्वाद लेना चाहिए।
पैर छूने के फायदे
जब हम बड़ों के पैर छूते हैं तो उनका आशीष मिलता है और उनके प्रति सदैव सम्मान बना रहता है।
यदि हम सेहत की बात करें तो ये एक व्यायाम की तरह हो सकता है।
लेकिन पैर छूने का एक तरीका है पूरी तरह से झुककर बड़ों के पैरों के अंगूठे का स्पर्श करना, जिससे इस व्यायाम का पूर्ण लाभ मिल सके।
विज्ञान की दृष्टि से ऊर्जा का प्रवाह भी ऊपर से नीचे की तरफ होता है।
जो भी हमारे सम्मानित लोग हैं उनके पैर छूने से उनकी सकारात्मक ऊर्जाएं स्पर्श करने वाले व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करती हैं।
जिससे इसका पूरा लाभ स्पर्श करने वाले व्यक्ति को मिलता है।
पैर छूने के स्वास्थ्य लाभ
विद्वानों के अनुसार पैर छूने के तीन अच्छे तरीके हैं।
पहला तरीका है जो मूल तरीका है इसमें आगे झुककर पैर छुआ जाता है।
दूसरा तरीका है अपने घुटनों के बल बैठकर दुसरे व्यक्ति के पैर छूना।
तीसरे और अंतिम तरीका है अपने पेट के बल लेटकर जिसमें आपका सिर जमीन को छूता है।
जिसे साष्टांग प्रणाम भी कहा जाता है।
यह आमतौर पर हिंदू मंदिरों में भक्तों द्वारा किया जाता है।
पैर छूने के लिए सामने की तरफ झुकते समय आपकी पीठ और कमर में खिंचाव उत्पन्न होता है।
और जब आप घुटनों के बल बैठते हैं और फिर किसी बड़े के पैर छूते हैं तो आपके घुटने मुड़े हुए होते हैं और आपके शरीर के सभी जोड़ खिंचते हैं।
जिससे आपको जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है।
साष्टांग प्रणाम करने से पूरे शरीर में खिंचाव उत्पन्न होता है और जिसके फलस्वरूप शरीर का दर्द समाप्त हो जाता है।
अपने से बड़ों के पैर छूना कई तरह से लाभदायक होता है।
इसलिए अपने बच्चों को ये संस्कार बचपन से ही देने चाहिए।