भारतीय संस्कृति में शंख को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। समुद्र मंथन से प्राप्त चौदह रत्नों में से एक शंख भी था जो प्राप्त हुआ था। अथर्ववेद के अनुसार शंख से राक्षसों का नाश होता है- शंखेन हत्वारक्षांसि। तो चलिए जानते है आखिर शंख बजाने से क्या क्या होते है चमत्कारी फायदे (Benefits of Shankh)
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Toggleधार्मिक दृष्टि में शंख
भागवत पुराण में भी शंख का उल्लेख हुआ है। शंख में ओम ध्वनि प्रतिध्वनित होती है।
ओम से ही वेद बने और वेद से ज्ञान का प्रसार हुआ।
शंख ध्वनि को पुराणों और शास्त्रों में कल्याणकारी कहा गया है।
इसकी ध्वनि विजय के मार्ग में आने वाली रुकावटों का समाप्त करती है।
ऐसा माना जाता है कि जिस घर में शंख निवास करता है।
वहां हमेशा भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बरक़रार रहती है।
शंख की ध्वनी से घर में सुख-समृद्धि आती है।
शुक्रवार के दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने के बाद शंख बजाना बहुत ही शुभ माना जाता है.
वैज्ञानिक दृष्टि में शंख का महत्व
शंख का महत्व वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके प्रभाव से सूर्य की हानिकारक किरणें कम होती हैं।
इसलिए सुबह और शाम शंख बजाने से वातावरण साफ और शुद्ध होता है और आसपास मौजूद जीवाणुओं-कीटाणुओं का भी नाश होता है।
जाने-माने वैज्ञानिक डा. जगदीश चंद्र बसु के अनुसार शंख की ध्वनि जहां तक जाती है
वहां तक मौजूद बीमारियों के कीटाणुओ का नाश हो जाता हैं।
शंख महाऔषधि भी है
शास्त्रों में इसे महा औषधि माना जाता है।
शंख में प्राकृतिक कैल्शियम, गंधक और फास्फोरस की भरपूर मात्रा होती है जिसकी वजह से इसमें मौजूद जल स्वस्छ और रोगाणु रहित हो जाता है।
इसी वजह से शंख में रखे पानी का इस्तेमाल करने से हड्डियां मजबूत होती हैं और यह दांतों को स्वस्थ और मजबूत रखने में भी बहुत लाभकारी होता है।
अस्थमा के मरीज के लिए शंख बजाना बहुत फायदेमंद होता है।
अगर अस्थमा के मरीज नियमित रूप शंख बजाये तो उनके फेफड़े मजबूत होते है।
भारतीय संस्कृति के अनुसार पूजा, यज्ञ एवं अन्य विशिष्ट अवसरों पर हम शंखनाद का प्रयोग करते थे।
क्योंकि इससे निकलने वाली ध्वनि तरंगों में हानिकारक वायरस को नष्ट करने की क्षमता होती है।
बर्लिन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने 1928 में शंख ध्वनि पर अनुसंधान कर इस बात को सत्यापित किया था।
शंखनाद के फायदे
शंखनाद करने के पीछे की मूलभावना यह है की इससे शरीर निरोग हो जाता है।
घर में शंख रखने मात्र से घर में सुख की वृद्धि और उसे बजाने से घर का वास्तु दोष समाप्त हो जाता है।
शंख बजाने से घर में सकारात्मक उर्जा में वृद्धि होती है और नकारात्मक उर्जा की समाप्ति होती है।
भारतीय संस्कृति की एक अनुपम धरोहर होते है ये चमत्कारी शंख
श्री कृष्ण जी का शंख
श्री कृष्ण जी के पास पार्जन्य शंख था, अर्जुन के शंख का नाम देवदत्त, युधिष्ठिर के पास अनंत विजय, भीष्म के पास पोंड्रिक, नकुल के पास सुघोष, सहदेव के पास मणिपुष्पक शंख था।
सभी के शंखों का गुण और शक्ति अलग-अलग थी।
शंख के चमत्कारी गुण
शंखों की शक्ति और उनके चमत्कारी गुणों का वर्णन महाभारत और पुराणों में मिलता है।
शंख को विजय, समृद्धि सुख, शांति, यश, र्कीत और लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शंख नाद का प्रतीक है। शंख की ध्वनि शुभ मानी गई है।
हालांकि प्राकृतिक रूप से शंख कई प्रकार के होते हैं जिनमें 3 प्रमुख प्रकार हैं : दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख तथा वामावृत्ति शंख।