रंगों का त्योहार होली नजदीक आ रहा है और इसके साथ ही खुशियों का दौर भी शुरू होने वाला है। लेकिन होली से एक दिन पहले आती है होलिका दहन की रात। इस दिन लोग एकत्रित होकर अलाव जलाते हैं। यह पवित्र अग्नि जिसमें बुराई जलकर राख हो जाती है और अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है। तो अगर आप सोच रहे हैं कि “Holika Dahan Kab hai?”, तो आपका इंतजार खत्म हुआ!
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Toggleहोली 2024 कब है?
Holika Dahan Kab hai, यह जानने से पहले आइए जानें कि 2024 में होली कब है। 2024 में होली का त्योहार 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा और होलिका दहन 24 मार्च 2024 की शाम को होगा।
Holika Dahan Kab hai?
अब आपको पता है की होली 2024 में कब है। तो चलिए अब देखते हैं की 2024 में होलिका दहन कब है।
पंचांग दिवाकर के अनुसार, प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भद्रा रहितकाल में होलिका दहन किया जाता है। इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च 2024 को ही प्रदोषव्यापिनी है। 24 मार्च को भद्रा अर्धरात्रि 12:33 से पहले 11:13 पर समाप्त हो रही है।
तो, इस वर्ष होलिका दहन 24 मार्च 2024 को होगी। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11:13 बजे से 12:32 बजे तक है। इसलिए होलिका दहन रात 11:13 बजे के बाद ही करना चाहिए।
चलिए अब जानते हैं होलिका दहन का महत्व।
होलिका दहन का महत्व
होलिका दहन सिर्फ आग पर लकड़ी जलाने की रस्म नहीं है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन हम अहंकार, बुरी आदतों और नकारात्मक सोच को जलाकर सकारात्मक ऊर्जा का स्वागत करते हैं। ऐसा माना जाता है कि होलिका दहन की अग्नि से हमें कई लाभ मिलते हैं, जैसे-
- स्वास्थ्य सुधार
- सुख-समृद्धि की प्राप्ति
- बुरी शक्तियों का नाश
- मन की शांति और सकारात्मकता
इस रात को लोग होलिका दहन के आसपास इकट्ठा होते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और जश्न मनाते हैं। यह त्यौहार हमें आपसी प्रेम और भाईचारे का संदेश भी देता है। इसके बाद, आइए अब समझते हैं होलिका दहन पूजा की सही विधि।
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होलिका दहन पूजा विधि
होलिका दहन की पूजा विधि बहुत ही सरल है, जिसे कोई भी आसानी से कर सकता है। इसके अलावा, इसके लिए नीचे दी गई सामग्री की आवश्यकता होगी। इसमे शामिल है:
- फूलों की माला
- मूंग
- बताशा
- गुड़
- साबुत हल्दी
- पाँच से सात विभिन्न प्रकार के अनाज
- एक बर्तन में पानी
- सूखी लकड़ी और गाय के गोबर के उपले
- गाय के गोबर के उपले
- गेहूं की बलि
- नारियल
- सिन्दूर, रोली, मोली
- फूल और अगरबत्ती
होलिका दहन की विधि
इसके अलावा आइए जानते हैं होलिका दहन की विधि।
- किसी खुले स्थान पर होलिका बनाएं, सूखी लकड़ियाँ और उपले एकत्र कर उसे देवदार के पेड़ का आकार दें।
- शीर्ष पर गाय के गोबर के उपले रखें।
- पूजा सामग्री एकत्र करें और होलिका की परिक्रमा करें।
- होलिका पर रोली, सिन्दूर और मोली लगाएं।
- फूल, गेहूं और अगरबत्ती चढ़ाएं.
- प्रार्थना करें कि बुराई का नाश हो और आपका परिवार स्वस्थ एवं प्रसन्न रहे।
- अंत में, इस ब्लॉग में ऊपर बताए अनुसार शुभ समय में होलिका अग्नि जलाएं।
सारांश
इसी के साथ आपने जाना की Holika Dahan Kab hai, इसका शुभ महूरत कब है, कौन कौन सी सामग्री इसमें लगती है और इसे करने की विधि क्या है। तो चलिए अब जानते हैं होलिका दहन के पीछे की कहानी। हाँलाकि, बचपन में आपने यह कहानी अवश्य सुनी होगी, कोई बात नहीं चलिए इसे फिर से याद करें।
होलिका दहन के पीछे की कहानी
होलिका दहन से जुड़ी एक प्रचलित कहानी हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की है। हिरण्यकशिपु एक अत्याचारी राजा था जो खुद को भगवान मानता था। उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का भक्त था, जिससे हिरण्यकश्यप क्रोधित रहता था। उसने प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास किए, लेकिन विष्णु की कृपा से प्रह्लाद हर बार बच गया। अंततः हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का आदेश दिया। होलिका के पास अग्निरोधक वस्त्र थे, लेकिन भगवान विष्णु की मदद से प्रह्लाद आग से सुरक्षित रहा, जबकि होलिका जलकर राख हो गई।
तो तैयार हैं रंगों में सराबोर होने के लिए? होलिका दहन की पवित्र अग्नि में बुराई जलाकर स्वागत करें खुशियों का। परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाएं होली का ये खास पर्व। आप सभी को होलिका दहन और रंगवाली होली की हार्दिक शुभकामनाएं!